ऐसा तो कही नहीं लिखा की कामयाबी अमीरों के नसीब में बसी होती है, जबकि कामयाबी तो गरीबो का हक़ होता है। अगर अपने सपनों के पीछे जी जान लगाकर पीछे पड़ जाये, तो मंजिल एक दिन आपके कदमों के नीचे होती हैं।
जब तक कोई भी व्यक्ति के जीवन में किसी भी तरह का आभाव नहीं होगा, तो उसे कामयाबी, लक्ष्य के बारे में कुछ पता नहीं होता। आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक छोटे से गांव की एक ऐसी बेटी की, जिसने आज अपने माँ बाप के साथ साथ मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का, रीवा जिला और उसके गांव का नाम रोशन कर दिया।
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संघर्षों से भरी सफलता की कहानी
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रीवा जिले के छोटे से गांव लौरी गढ़ क्रमांक-3 में रहने वाली मजदूर की बेटी रामकली कुशवाहा की गेट परीक्षा पास करने की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। रामकली के माता-पिता मजदूर हैं और वो तीन भाई बहन हैं। रामकली सबसे बड़ी है उसकी छोटी बहन 9वीं क्लास में पढ़ती है जबकि छोटा भाई अभी पांच साल का है। होनहार रामकली ने बताया कि पापा चंद्रिका कुशवाहा और मम्मी प्रेमवती कुशवाहा ने कच्चे मकान में रहकर जीवन काट दिया, लेकिन उसे और भाई-बहन को पढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी।
गेट पास करने के बाद रामकली का सपना IIT मुंबई से एम-टेक करने का है। वहीं रामकली के पिता चंद्रिका कुशवाहा ने बताया कि बेटी रामकली बचपन से ही पढ़ने में होनहार है उसने कक्षा 1 से 4 तक की पढ़ाई सरस्वती ज्ञान मंदिर, गढ़ में, फिर 8th तक की पढ़ाई आदर्श स्वामी विवेकानंद माध्यमिक विद्यालय लौरी नंबर 2 में की, इसके बाद 12th तक की पढ़ाई गांधी ग्रामोदय हायर सेकेंडरी स्कूल, गढ़ से पूरी की।
मुश्किल वक्त में भी नहीं मानी हार
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रामकली ने बताया कि 12वीं पास करने के बाद उसे फिजिक्स टीचर समीर वर्मा ने बीटेक करने की प्रेरणा दी। जिसके बाद उसने कृष्णा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (मनगवां) में एडमिशन ले लिया। कॉलेज गांव से 30 किलोमीटर दूर था, जो रोज बस से अप-डाउन करती थी। लेकिन सालभर बाद कॉलेज बंद होने पर ट्रांसफर रीवा के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी में हो गया। यह कॉलेज 60 किलोमीटर दूर था। तब भी रोजाना अप-डाउन किया। एक तरफ का किराया 50 रुपए था। बीटेक सिविल इंजीनियरिंग के दो साल अप-डाउन कर कम्प्लीट किए। कोरोनाकाल में जब कॉलेज बंद हो गया तो पिता ने लैपटॉप खरीदकर दिया और इसके बाद रामकली ने मोबाइल व लैपटॉप पर यू-ट्यूब की मदद से पढ़ाई जारी रखी।
सीएम शिवराज ने दी बधाई
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छोटे से गांव की रहने वाली रामकली की इस सफलता पर खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी होनहार रामकली को बधाई दी। सीएम ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए रामकली से संवाद किया तथा उन्हें और उनके परिवार को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपकी सफलता पर पूरे प्रदेश को गर्व है, आप को पढ़ाई के लिए हर संभव मदद दी जाएगी, कलेक्टर बिटिया और उसके परिवार की हर संभव सहायता करें। बता दें कि रामकली ने 17 मार्च को घोषित हुए GATE के रिजल्ट में सिविल इंजीनियरिंग में 3290 ऑल इंडिया रैंक और एनवायरमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग में 435वीं रैंक हासिल की है।
बिना रूपरेखा के कोई भी काम सफल नही होता
जो भी विद्यार्थी GATE की तैयारी कर रहे उन्हें रामकली सफलता पाने के लिए टिप्स देती है। रामकली कहती है कि प्रतिदिन का एक टारगेट और टाइम टेबल बनाना बहुत जरुरी होता है। टारगेट और टाइम टेबल की मदद से समय का सदुपयोग और कब क्या पढ़ना है, उसका हिसाब किताब रहता है।
बिना प्लानिंग के पढ़ना अपने आप को धोखा देना है। पहले अपना बेसिक कॉन्सेप्ट मजबूत करें फिर न्यूमेरिकल का अभ्यास करें। साथ ही मॉक टेस्ट लगाए इससे कॉन्फिडेंस बढ़ता है। हर दिन दो से तीन सब्जेक्ट की पढ़ाई करें।
अगर आप एक सब्जेक्ट पढ़ते है, तो आप बोरियत महसूस करने लगेंगे और फिर पढ़ने में मन भी नहीं लगेगा। एक सब्जेक्ट पूरा होने के बाद उसका रिवीजन जरूर करले। इससे पढ़ी हुई चीज़ आपकी डीप मेमोरी में चली जाती है और आप उसे भूलते नहीं है।
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