Startup Story: बीते दिनों पूरे देश में स्टार्टअप का दौर चला है, ऐसे में कई युवाओं ने अलग अलग तरह के व्यवसाय स्थापित किये है। इन नए खड़े हुए बिज़नेस स्टार्टअप्स में कुछ तो बहुत ही कमाल के हैं। इनमे रतन टाटा जैसे बड़े उद्द्योगपति की अपनी रूचि दिखा रहे हैं और उन्हें बढ़ावा दे रहे हैं। इन्ही में से एक मोबाइल एनर्जी डिस्ट्रीब्यूशन स्टार्टअप रेपोस एनर्जी ने ऑर्गेनिक कचरे से चलने वाला एक ‘मोबाइल इलेक्ट्रिक चार्जिंग व्हीकल'(Mobile electric charging vehicle) लॉन्च किया था।
आपको बता दें की महाराष्ट्र के पुणे में यह स्टार्टअप देश के जाने माने बिज़नेस मैन रतन टाटा की कंपनी के इन्वेस्टमेंट से चालू हुआ इस स्टार्टअप को शुर करने वाले 2 युवा है, उन्होंने मीडिया और सोशल मीडिया में यह सभी बातें बताई और रतन टाटा से जुड़ा एक किस्सा भी बताया। उन्होंने बताया की कैसे रतन टाटा (Ratan Tata) के एक फोन कॉल ने उनके बिज़नेस आईडिया को पंख दे दिए।
मीडिया प्लेटफॉर्म मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कुछ साल पहले अदिति भोसले वालुंज और चेतन वालुंज ने रेपोस एनर्जी के नाक से अपना स्टार्टअप शुरू किया था। फिर थोड़ा काम करने के बाद उन्हें लगा की इसे आगे बढ़ाने के लिए किसी बड़े हाँथ जरूरत है और वह एक मेंटर के तौर पर भी उनका मार्गदर्शन करें। दोनों रतन टाटा के नाम और काम को भली भांति जानते थे, लेकिन उन्हें ये भी पता था कि उनसे मिलना कैसे संभव हो पायेगा।
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दोनों रतन टाटा से मिलने की जुगत में लगे रहे

अदिति भोसले वालुंज (Aditi Bhosale Walunj) और चेतन (Chetan Walunj) ने रतन टाटा से मिलने की जुगत में लग गए, लेकिन रतन टाटा से मिल पाना इतना आसान तो था नहीं, फिर भी अदिति ने रतन टाटा से मिलने की कोशिश ज़ारी रखी। सभी ने उन्हें बताया कि आप रतन टाटा से नहीं मिल सकते हैं और यह असंभव है, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
एक कार्यक्रम में अदिति ने बताया कि उन्होंने एक 3D प्रेजेंटेशन बनाया, जिसमे खुदके लिखे एक लेटर के साथ उसे रतन टाटा के एड्रेस पर भेज दिया। उन्होंने कुछ लोगो से भी कांटेक्ट किया, जो उन्हें रतन टाटा से मिलवा सके और एक बार उन्होंने रतन टाटा के घर के बाहर 12 घंटे तक इंतजार भी किया, पर उनकी मीटिंग नहीं हो पाई थी।
एक फोन कॉल आया और उनकी लाइफ बन गई

रतन टाटा से ना मिल पाने के गम में वे रात 10 बजे के आस पास अपने होटल वापस आ गए, लेकिन उनके किस्मत का ताला अभी खुलना बाकी था, क्योंकि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। उन्हें एक फोन कॉल आया और इस कॉल ने उनकी लाइफ बना दी। यहाँ से उन्हें उड़ने के लिए पंख मिल गए।
जब उन्हें कॉल आया, जब वह कही बिजी थी, फिर भी उन्होंने कॉल उठाया और दूसरी तरफ से आवाज आई कि ‘हैलो, क्या मैं अदिति से बात कर सकता हूं।’ अदिति ने उनसे पूछा कि आप कौन बोल रहे हैं। फिर दूसरे तरफ से आवाज आई, “मैं रतन टाटा बोल रहा हूं। मुझे आपका लेटर मिला, क्या हम मिल सकते हैं”, यह सुनकर अदिति के होश उड़ गए।
अदिति अब रतन टाटा की आवाज़ सुनकर भावुक हो गई थी। वे खुश भी थी और स्तब्ध भी थी। रेपोस एनर्जी (Repos Energy) की को-फाउंडर अदिति ने अपनी एक पोस्ट में बताया कि, अगले दिन वह अपने साथी के साथ सुबह 10.45 बजे रतन टाटा के घर गई और अपना प्रजेंटेशन देने के लिए लिविंग रूम में उनका वेट किया।
रतन टाटा ने खुद उनका मार्गदर्शन किया

कुछ देर बाद 11 बजे नीली शर्ट पहने एक व्यक्ति ने कमरे में एंट्री ली। वह और कोई नहीं, बल्कि रतन टाटा थे। उनके साथ दोनों की मीटिंग सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक चली और वे तीन घंटे दोनों के लिए लाइफ चेंजिंग समय रहा।
रतन टाटा ने उनके बिज़नेस आईडिया को सुना, जो की उन्हें बहुत पसंद आया और टाटा ने उनके कुछ बिज़नेस टिप्स भी दिए। आज रतन टाटा के निवेश और उनके मार्गदर्शन से ये दोनों युवा दंपति अपनी कंपनी को भली भांति चला रहे हैं और सफलता के शिखर को छू रहे हैं।
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