Dharmik: सनातन धर्म में भाई दूज का पर्व बड़े ही विधि विधान के साथ मनाया जाता है। आइए जानें इस साल कब पड़ेगा यह पर्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व जानें।
हिन्दू धर्म में अन्य त्योहारों की तरह भाई दूज के पर्व का भी विशेष महत्व है। इसकी मान्यता इसलिए और भी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि ये दिवाली के पांच दिन के उत्सवों में से ही एक है। दिवाली के मुख्य त्योहार के एक दिन बाद पड़ने वाला भाई दूज कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की दद्वितीया तिथि को पड़ता है।
प्राचीन काल से ही ये मान्यता चलती आ रही है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और सभी भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। हिन्दुओं में भाई दूज के त्योहार की बहुत ज्यादा मान्यता है।
इसे यम द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है और मान्यतानुसार इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है। यह पर्व भाई के प्रति बहन के प्रेम को अभिव्यक्त करता है और इस दिन बहनें अपने भाई की मंगल कामना की कामना करती हैं। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें कि इस साल कब मनाया जाएगा भाई दूज और इसका महत्व क्या है।
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भाई दूज की तिथि और मुहूर्त
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- पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि 26 अक्टूबर 2022, को पड़ेगी।
- द्वितीय तिथि आरंभ -26 अक्टूबर, दोपहर 02 बजकर 42 से आरंभ होगी
- द्वितीय तिथि समाप्त -27 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 45 पर इसका समापन होगा।
- इस बार 26 अक्टूबर 2022 को भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त है, इसलिए इसी दिन बहनें भाइयों को टीका करेंगी, तो शुभ होगा।
- उदय तिथि के अनुसार 27 अक्टूबर 2022 को भी भाई दूज मनाई जा सकती है।
- भाई दूज टिके का शुभ पूजा मुहूर्त – 26 अक्टूबर, दोपहर 01:18 से 03.33 तक
भाई दूज का महत्व
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हिंदू धर्म में भाई दूज के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह पर्व भाइयों और बहनों के बीच के समर्पण का प्रतीक है। भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर हल्दी और रोली का तिलक लगाती हैं।
यह दिवाली के दो दिन बाद पड़ता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को प्रेम पूर्वक घर बुलाती हैं और उन्हें स्नेह से टीका लगाने के साथ उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भाई को अपनी बहन के घर में भोजन अवश्य ग्रहण करना चाहिए और यदि भाई बहन यमुना नदी के किनारे बैठकर भोजन करते हैं, तो ये जीवन में सफलता का कारण बनता है।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
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एक पौराणिक कथा के अनुसार यमुना और यमराज भाई बहन थे। इनका जन्म भगवान श्री नारायण की पत्नी छाया की कोख से हुआ था। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थीं और प्रेम के वशीभूत होकर यमराज को बार बार अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित करती थीं, लेकिन यमराज अपनी दैनिक गतिविधियों में व्यस्त होने की वजह से उनका निमंत्रण त्याग कर देते थे।
एक बार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर में भोजन करने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज इस बात को सोचकर कि मैं जब लोगों का जीवन हरण करने वाला हूं तब भी बहन का स्नेह मुझे पुकार रही है। इस बात को सोचकर द्वितीय तिथि के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पर भोजन करने के लिए निकले और नरक के सभी जीवों को मुक्त
किया।
यमराज को घर पर देख यमुना की खुशी का ठिकाना न रहा और वो उन्हें सम्मान पूर्वक भोजन कराने लगीं। बहन के स्नेह को देखकर यमराज ने बहन से वरदान मांगने को कहा। उस समय यमुना ने कहा कि मुझे वरदान स्वरुप यह चाहिए कि इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का आदर, सत्कार और टीका करके भोजन कराएगी उसे कभी आपका भय न हो।
ऐसे मे यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र और कुछ आभूषण दिए और वहां से चले गए। उसी समय से यह प्रचलन हुआ, कि जो बहन अपने भाई को घर बुलाकर टीका करेगी और भोजन कराएगी तो उसके भाई पर यमराज की कृपा होगी और उसे दीर्घायु का वरदान मिलेगा।
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