आज के दौर में हम बिलकुल स्वंतत्र होकर रहते हैं न ही हम किसी बंधन से बंधे हैं और न ही कोई दबाब है लेकिन क्या ऐसा सन 1947 से पहले मुमकिन था | जी बिलकुल नहीं क्योंकि इससे पहले हम इस तरह की आजादी के लिए आजाद नहीं थे | और आजादी हमे बड़े बड़े क्रांतिकारियों ने दिलाई है | उन्ही वीरों में से एक हैं लाला लाजपत राय जिन्होंने देश को आजाद करने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तो आइये जानते हैं ऐसे वीर क्रन्तिकारी के बारे में –
Table of Contents
लाला लाजपत राय का जन्म-
देश के लिए सरवछव न्यौछावर करने वाले वीर पुरुष लाला लाजपत रे का जन्म 28 जनवरी 1865 को धुड़ीके गाँव, पंजाब, भारत में हुआ था। इनके माता पिता का नाम श्री राधाकृष्ण जी एवं श्रीमति गुलाब देवी था | यह एक सिख समुदाय से तालुक्क रखते थे | इनके पिता एक सरकारी अध्यापक थे | देश भक्ति को देखते हुए इन्हे पंजाब केशरी के नाम से भी जाना जाता था |
प्रारम्भिक जीवन एवं शिक्षा
लाला लाजपत राय की प्रारम्भिक जीवन एवं शिक्षा दोनों ही अपने पैतृक गांव से ही स्टार्ट हुई | गांव के ही सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पड़े की और बचपन से ही पढ़ाई में होशियार होने के कारण इनके माता पिता ने कानून की पढ़ाई के लिए इन्हे 1880 में लाहौर के सरकारी कॉलेज में दाखिला दिलाया और वह्नि से इन्होने अपने कानून की पढ़ाई को कम्पलीट किया |
करियर
अपनी कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होने हरियाणा के रोहतक ,हिसार आदि शहरों में वकालत शुरू की लेकिन इनका मन वकालत में बिलकुल भी नहीं लगा | वकालत के दौरान ही सन 1885 में कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन को यह देखने पहुंचे और ओस अधिवेशन को देखकर ही राजनीति में जाने का मन बना लिया | और सन 1888 में कांग्रेस के अली मुहम्मद भीम पंजाब आये तब उनके साथ मिलकर कई सभाएं कई और बीएस यही से राजनितिक सफर में कूद पड़े |
राजनीति –
इलाहाबाद में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सेशन में प्रभावी भाषण देकर ,वहां बैठे लोगों को अपनी और आकर्षित किया और कांग्रेस में इनकी वैल्यू और बढ़ गयी | और धीरे धीरे इस तरह कांग्रेस में अपनी अच्छी खासी जगह बना ली | और सन 1892 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन को बंनाने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमकिए निभाई |
स्वंत्रता प्राप्ति के लिए योगदान
कांग्रेस पार्टी में इनके योगदान को देखे हुए इन्हे 1920 में नेशनल कांग्रेस का प्रेसिडेंट बनाया गया। और उनकी इस प्रकार बड़ी हुई वैल्यू को देखकर ब्रिटिश सरकार को उनसे डर लगने लगा और उन्हें कोंग्रेस से अलग करने के लिए प्रयास किये लेकिन उनके सामने उनकी एक भी न चली | और इसी वजह से ब्रिटिश सरकार ने उन्हें साल 1921 से लेकर 1923 तक मांडले जेल में कैद कर लिया | उन्हें कैद देख जनता भड़क गई और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सड़कों पर आ गई | फिर मजबूरन ब्रिटिश सरकार ने इन्हे रिहा कर दिया |
देशव्यापी ताकतों को एकजुट करने के लिए साल 1925 में उन्होंने कलकत्ता में हिन्दू महासभा का आयोजन किया, जहां उनके ओजस्वी भाषण ने बहुत से हिन्दुओं को देश के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने देश वासियों से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने को कहा | सन 1905 में ब्रिटिश सरकार ने बंगाल विभाजन कर दिया | इसे देख स्वंत्रता प्राप्ति कई ज्वाला और भड़क गई और ब्रिटिश सरकार को देश से खदेड़ने का मन बना लिया
साइमन गो बैक और दुखद मृत्यु –
जब सन 1928 में साइमन कमीशन भारत बात करने आया तो इसके विरोध में लाला लाजपत राय ने सम्पूर्ण गर्म दल लो इक्खट्टा किया और इसका सम्पूर्ण विरोध किया | इस विरोध को देखकर अंग्रेज पुलिस कर्मियों ने उन पर लाठियां भांजी | और एक लाठी लाला लाजपत राय कर सिर पर जा लगी |लाला जी का कथन था— मेरे शरीर पर पड़ी एक—एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में कील का काम करेगी. और सिर पर लगी चोट सही नहीं हो पाने के कारण 17 नवंबर 1928 को माँ भारती के इस वीर पुत्र का अंत हो गया |
