वैसे तो हिन्दू धर्म में हर एक व्रत का अपने आप में बहुत ही महत्व होता है | और उन सबमें से एक प्रमुख महापर्व भी है जिसे छठ पूजा का महापर्व कहा जाता है | जो की दीपावली के जस्ट बाद बड़ी ही धूम धाम से हर साल मनाया जाता है | यह व्रत संतान की सुख समृद्धि ,और दीर्घायु की कामना के लिए भगवान सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित होता है | यह खास पर्व लगभग दो से तीन दिन चलता है ,यहव्रत 36 घंटे निर्जला व्रत रखा जाता है | तो आइये जाते हैं इस वर्ष के महापर्व के बारे में डिटेल्स से –
छठ पूजा का यह महा पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि पर मनाया जाता है। जो की हिन्दू कैलेंडर पंचांग के अनुसार 8 नवंबर, 2021 दिन सोमवार से शुरू होकर 10 नवम्वर 2021 दिन बुद्धवार तक चलेगा | नहाए खाए के साथ शुरु होने वाले इस व्रत में व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर और लास्ट के दिन भगवान सूर्य देव व छठी मैया की पूजा अर्चना क्र इस व्रत को समाप्त करेंगी |
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खया
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खया के साथ शुरू होता है | इस दिन घर की साफ़ सफाई कर और नहाने धोने आदि से निवृत होकर ,नए वस्त्र धारण कर पूजा आदि करके चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना
ये छठ पूजा का दूसरा दिन होता है | जिसे पूरे दिन व्रत रखा जाता है | व् शाम को मिटटी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर इस व्रत को खोला जाता है | फिर उसके बाद अगले 36 घंटों तक बिलकुल निर्जला व्रत रखा जाता है |
छठ पूजा का तीसरा दिन
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानि छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करती हैं। शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तलाब पर पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं। तीसरे दिन का निर्जला उपवास रातभर जारी रहता है।
छठ पूजा का चौथा दिन
यह दिन इस महापर्व का अंतिम दिन होता है इस दिन व्रती महिलाये उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है एवं व्रती महिलाएं नो या ग्यारह बार परिक्रमा करती हैं | इसके बाद एक दुसरे को प्रसाद खिलाकर 36 घंटे के इस निर्जला व्रत को समाप्त किया जाता है |
छठ से जुड़ी कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान ने उत्तरा को ये व्रत रखने और पूजन करने का सुझाव दिया था. महाभारत युद्ध के बाद जब गर्भ में ही अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र का वध कर दिया गया था. तब उस जान को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने उत्तरा का षष्ठी व्रत करने के लिए कहा. इसलिए इस व्रत को संतान की लंबी आयु की कामना के लिए भी माना जाता है |
