क्या आप सोच सकते हैं कि जब आप 100 साल के होंगे तो क्या करेंगे? आप अपने किस शौक को पूरा करेंगे? शायद हम में से अधिकांश लोगों के पास इस बात का कोई सही जवाब नहीं होगा। 100 साल तक जीवित रहना और उस उम्र में काम करके अपना नाम बनाना और आत्मनिर्भर होना वाकई किसी अंचभे से कम नहीं है। लेकिन इस बात की प्रत्यक्ष उदाहरण हैं केरल की रहने वाली पद्मावती नायर।
पद्मावती नायर 100 वर्ष की उम्र में भी हैंड-पेंटेड साड़ियों का बिज़नेस कर रही हैं, और खुद आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं। 100 वर्षीय दादी के हौसले और जज़्बे को देख हर कोई हैरान हो जाता है। उनके द्वारा बनाई गई हस्तनिर्मित साड़ियां 11 हजार में बिकती है। 100 वर्ष की उम्र में खुद की पहचान बनाए रखना और दूसरों को प्रेरित करना पद्मावती नायर के लिए इतना आसान नहीं है। इसके लिए उन्हें काफी मशक्त करनी पड़ी। आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी।
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100 साल की उम्र में रोज करती हैं काम

1920 में केरल में जन्मी पद्मावती नायर साड़ियों पर पेंटिंग करने का काम करती हैं। उन्हें अपने काम से इतना प्रेम है कि 100 वर्ष की उम्र में भी उन्होंने काम करना बंद नहीं किया और लगातार रोजाना 3 घंटे काम किया करती हैं। और खुद के द्वारा बनाए गए टार्गेट को पूरा करती हैं। उनका मानना है कि इंसान को सक्रिय रहना चाहिए, व्यस्त रहना चाहिए और दूसरों के जीवन में ज्यादा दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपने काम से बहुत आनंद और संतुष्टि मिलती है इसलिए वह अपने काम में व्यस्त रहती हैं।
इस उम्र में भी रोजाना 5 बजे जग जाती हैं पद्मावती

पद्मावती नायर प्रतिदिन सुबह 5 बजे उठ जाती हैं। और सुबह के कामों को निपटाकर रोजाना लगभग 10:30 बजे साड़ियों पर पेंटिग करने का काम करने लग जाती हैं। तीन-साढे तीन घंटे बाद दोपहर 1:00 बजे ही अपनी डेस्क से उठती हैं। इसके बाद वह अपने अन्य कामों को करती हैं। पद्मावती नायर पूरे दिन खुद को काम में व्यस्त रखती हैं।
60 वर्ष की उम्र में शुरू किया बिज़नेस

जब हम में से अधिकांश लोग अपना जीवन जी चुकें होते हैं। उस उम्र में पद्मावती नायर ने अपने सपनों को पूरा करने की ठानी। उन्होंने अपने काम की शुरूआत 60 वर्ष की उम्र में की थी। पद्मावती नायर की शादी 1945 में श्री केके नायर जी से हुई थी। उनके पति मुंबई की फोर्ड कंपनी में काम करते थे। इसलिए पद्मावती जी भी अपने पति के साथ मुंबई आ गयी। उन्हें हमेशा से सिलाई कढ़ाई का शौक रहा है। अपने इस शौक और हुनर का बखूबी प्रयोग करते हुए वह अपने बच्चों के कपड़े सिलने का काम खुद करती थी। और इस तरह से वह अपने हुनर को गढ़ने का कार्य करती रही।
अपने शौक को व्यवसाय में बदल दिया

60 साल की उम्र में उन्होंने अपने शौक को व्यवसाय में बदल दिया। शुरुआत में वह बहुत कम पेंट किया करती थी लेकिन अपनी डिजाइनर बेटी के द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर उन्होंने अपने काम को बढ़ाया। 60 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कमाई की थी।
ऐसे तैयार करती हैं साड़ियां

100 वर्षीय दादी उर्फ पद्मावती नायर अपने काम को पूरी लगन के साथ करती हैं। पहले वह साड़ी के लिए लेआउट तैयार करती हैं और फिर उसमें रंग भरती हैं। उन्हें एक साड़ी तैयार करने में 1 महीने का समय लगता है। एक साड़ी की कीमत 11 हजार रुपए हैं, जिसमें साड़ी की भी कीमत शामिल रहती है और दुपट्टे के लिए वह 3000 रुपये लेती हैं।
बच्चों ने किया काम के लिए प्रेरित
पद्मावती नायर अपने काम के विषय में कहती हैं कि उन्हें काम करने के लिए प्रेरित उनके बच्चों ने किया था। उनकी बेटी और बहुएँ ही उन्हें साड़ी और पेंटिंग का सामान उपलब्ध कराती हैं। पहले वह अपने बच्चों के लिए खुद कपड़े सिलतीं थीं। वक़्त के साथ उनके हाथ का हुनर और गहराता गया। दादी यानी पद्मावती अपने इस काम में जुट गईं। अपने काम से होने वाली कमाई को कभी खुद पर नहीं लगाती। वह इसे अपने पोते के लिए ख़र्च करती हैं। दादी बिलकुल मॉडर्न हैं। वह सोशल मीडिया समेत व्हाट्सएप भी यूज़ करती हैं। देखा जाये तो दादी लाखों करोड़ो के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं।
दूसरों के लिए बनीं हैं प्रेरणा

60 साल की उम्र के बाद अपने शौक को अपना बिज़नेस बनाना वाली दादी कहती हैं कि अगर मैं 100 की उम्र में कुछ कमा सकती हूँ तो क्या बुरा है। 100 वर्ष की उम्र में भी दादी अपने सारे काम स्वयं करती हैं। इस उम्र में भी वह नयी-नयी चीजें सीख रही हैं। चाहे वह फोन का इस्तेमाल हो या सोशल मीडिया का। दादी तकनीकी माध्यमों से भलीभांति परिचित हैं। उनका मानना है कि हर किसी को निर्भर होना चाहिए और यही सीख उन्होंने अपने बच्चों को भी दी है।
पद्मावती नायर उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो जीवन में निराशा से घिरे हुए हैं। 100 वर्ष की उम्र में अपने कार्य से सभी को अंचभित करने वाली दादी की सफलता की कहानी सभी के लिए एक मिसाल है।