प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का कहना है कि इस दशक के अंत तक देश में 6जी (6G) सेवा आरंभ हो जाएगी। इसके लिए सरकार की ओर से कोशिशें आरंभ हो गई हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अगले कुछ महीनों में 5जी (5G) सेवा की शुरुआत किए जाने की तैयारी है।
टेलीकॉम सेक्टर में 5जी सेवा का इंतजार बरसों से हो रहा है। यदि आप भी इसका इंतजार कर रहे हैं तो यह खत्म होने ही वाला है। क्योंकि अगले कुछ महीने में ही 5जी सेवा की शुरूआत होने वाली है। यह जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी है।
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अगले कुछ महीने में 5जी सेवा
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के रजत जयंती समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आज कहा कि इस दशक के अंत तक देश में 6जी सेवा आरंभ हो पाए, इसके लिए सरकार की ओर से कोशिशें आरंभ हो गई हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अगले कुछ महीनों में 5जी सेवा की शुरुआत किए जाने की तैयारी है।
5जी से तेजी से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

मोदी ने यह भी कहा कि अगले डेढ़ दशकों में 5जी से देश की अर्थव्यवस्था में 450 अरब डॉलर का योगदान होने वाला है। इससे देश की प्रगति और रोजगार निर्माण को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में संपर्क यानी कनेक्टिविटी, देश की प्रगति की गति को निर्धारित करेगी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर एक डाक टिकट भी जारी किया और आईआईटी मद्रास के नेतृत्व में कुल आठ संस्थानों द्वारा बहु-संस्थान सहयोगी परियोजना के रूप में विकसित 5जी टेस्ट बेड की भी शुरुआत की।
टेलीकॉम टेक्नॉलॉजी में आत्मनिर्भरता

इस परियोजना से जुड़े शोधार्थियों और संस्थानों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे देश को अपना, खुद से निर्मित 5जी टेस्ट बेड राष्ट्र को समर्पित करने का अवसर मिला है। ये दूरसंचार क्षेत्र में क्रिटिकल और आधुनिक टेक्नॉलॉजी की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक अहम कदम है।’’ मोदी ने कहा कि 5जी के रूप में जो देश का अपना 5जी मानदंड बनाया गया है, वह देश के लिए बहुत गर्व की बात है और यह देश के गांवों में 5जी प्रौद्योगिकी पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
5जी परियोजना से जुड़े हैं ये संस्थान
5जी से जुड़ी इस परियोजना में भाग लेने वाले अन्य संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, आईआईएस बैंगलोर, सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (एसएएमईईआर) और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (सीईडब्लूआईटी) शामिल हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक इस परियोजना को 220 करोड से अधिक रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह तकनीक भारतीय उद्योगों तथा स्टार्टअप के लिए लाभदायक होगी। उल्लेखनीय है कि ट्राई की स्थापना 1997 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के अंतर्गत की गई थी।