सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा को हम विभिन्न प्रकार के यंत्रों से उसे अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करते हैं। जिसमें से एक टेक्नोलॉजी सोलर पैनल है।
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सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना

बिजली सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना को लेकर देखा जाए तो हम आपको बता दे की इसे भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना गया है। साथ ही मूल रूप से केंद्र सरकार की योजना का उद्देश्य पूरे देश में सोलर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना शुरु कर दिया है। जिससे हर घर रोशन हो सके।
सोलर पैनल

सोलर पैनल बहुत सारे photo voltaic सेलो का समूह होता है। इस फोटो वोल्टिक सेलो को आपस में श्रेणी तथा समांतर क्रम में जोड़कर एक प्लेट पर व्यवस्थित कर दिया जाता है। तथा उसके ऊपर कांच की एक केसिंग किया जाता है। ताकि यह सेल बाहरी वातावरण के प्रभाव तथा पानी के प्रभाव से बचा रहे।
ये photo voltaic cell बहुत कम मात्रा में वोल्टेज देती है। लेकिन जब बहुत सारे सेलों को श्रेणी तथा समांतर क्रम में जोड़ा जाता है तो इसका वोल्टेज का मान बढ़ जाता है।
फोटो वोल्टिक सेल का कार्य सिद्धांत
Photo voltaic cell, सेमीकंडक्टर मटेरियल से बने होते हैं। प्रकृति में सेमीकंडक्टर मैटेरियल ऐसे पदार्थ होते हैं जो सूर्य से प्राप्त सौर प्रकाश के फोटॉन को अवशोषित करते हैं। फोटोवॉल्टिक सेल में SiO2 नामक सेमीकंडक्टर मैटेरियल का प्रयोग किया जाता है। हालांकि ये सेमीकंडक्टर मैटेरियल भरपूर मात्रा में रेत में पाया जाता है, लेकिन जब इसे रेत में से निकाल कर बाहर करने की बात होती है तो यह मटेरियल महंगा हो जाता है।
सेमीकंडक्टर मैटेरियल का यह गुण होता है कि जब इस पर प्रकाश पड़ता है तो यह प्रकाश के फोटॉन कण को अवशोषित करते हैं तथा फ्री इलेक्ट्रॉन बनाते हैं। ये इलेक्ट्रॉन सामान्य फ्री इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा ज्यादा उत्तेजित तथा उर्जित होते हैं। यानी कि इसमें अपेक्षाकृत अधिक उर्जा होती है। यही फ्री इलेक्ट्रॉन बाहर निकल कर एक इलेक्ट्रिक फील्ड में बहते हैं या मूव करते हैं।
एक पीवी सेल मैं सेल पर प्रकाश गिरने से लेकर आउटपुट पर प्राप्त इलेक्ट्रिक पावर तक के क्रियाएं निम्न तीन भागों में बांटा जा सकता है।
1. पहली क्रिया में प्रकाश पड़ने पर फोटॉन सक्रिय भाग द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। तथा मुक्त इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च विभव वाला ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं।
2. दूसरी क्रिया में यह उत्तेजित इलेक्ट्रॉन कर एक किनारे पर लग जाते हैं और जमा हो जाते हैं। यह किनारा पीवी सेल का आउटपुट टर्मिनल होता है।
3. तीसरे चरण की क्रिया में जब टर्मिनल को लोड से जोड़ा जाता है तो गुरजीत और उच्च विभव वाले मुक्त इलेक्ट्रॉन उस रोड पर टर्मिनल के जरिए पहुंच जाते हैं और उसे यानी कि उस लोड को चलाते हैं।
सोलर पैनल के प्रकार
सोलर पैनल के मुख्य रूप से चार प्रकार उपलब्ध हैं।
- मोनोक्रिस्टलिन सोलर पैनल (Monocrystalline solar panel )
- पॉलीक्रिस्टल सोलर पैनल (Polycrystalline solar panel)
- पैसिव एमिटर एंड रियर सेल (passivated emitter and rear cell PERC)
- थीन फिल्म सोलर पैनल (Thin film solar panel)
मोनोक्रिस्टलिन सोलर पैनल (Monocrystalline solar panel):-

Monocrystalline solar panel को सिलिकॉन की एक सिंगल क्रिस्टल को लेकर इसमें से एक सेल को तैयार किया जाता है। इसमें सबसे शुद्ध मात्रा का सिलिकॉन इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि Monocrystalline सोलर पैनल का कलर एकदम डार्क ब्लैक होता है। इसे एक सिंगल क्रिस्टल से तैयार किया जाता है। अतः इसे Single crystal solar panel भी कहते है।
पॉलीक्रिस्टलीन सोलर पैनल (Polycrystalline solar panel):-

जैसा कि हम लोगों ने मोनो क्रिस्टल सोलर पैनल में पढ़ा कि इसमें एक सिंगल प्रकार का सिलिकॉन क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन पाली क्रिस्टल में जैसे कि नाम से लग रहा है कि इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के सिलिकॉन क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के सिलिकॉन क्रिस्टलो को एक उच्च ताप पर पिघलाकर एक आयताकार सांचे में ढाल दिया जाता है। और इस प्रकार से सेल का वेफर (wafer) तैयार कर लिया जाता है। इसमें सिल्कन क्रिस्टल के नुकसान होने की कोई संभावना नहीं रहती है। इसे मोनो क्रिस्टल में नुकसान हुए सिलिकॉन क्रिस्टल को भी प्रयोग में लाया जाता है।
थीन फिल्म सोलर पैनल (Thin film solar panel):-

जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि इस प्रकार के सोलर पैनल को बहुत पतला बनाया जाता है ताकि ये लचीला बना रहे। इस पैनल में फ्रेम की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि इसे लचीला बनाना आवश्यक होता है। ये पैनल हल्का होने के साथ साथ किसी भी आकार के साइज में इसे फिट कर दिया जाता है।
पैसिव इमिटर एंड रियर सेल (passivated emitter and rear cell or PERC panel):-

PERC panel कहा जाए तो यह मोनोक्रिस्टलीन सोलर पैनल का अपडेटेड वर्जन है। मोनोक्रिस्टलीन सोलर पैनल को और ज्यादा दक्ष बनाने के लिए इस पैनल के सेल के पीछे वाले भाग पर एक निष्क्रिय पदार्थ का परत चढ़ा दिया जाता है। इसे ही PERC Solar panel कहते हैं।
सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना के बारे में जानना होता है अहम
1 .इस सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना में खर्च का भुगतान 5-6 साल में किया जाना अहम होता है।
2 .इसके बाद आपको अगले 20 साल तक सोलर पैनल से मुफ्त सोलर ऊर्जा बिजली मिलना शुरु होती है।
3 .इस सोलर पैनल योजना के लिए आपको बिजली वितरण कंपनी के नजदीकी कार्यालय से संपर्क करना अहम माना जा रहा है।
4 .साथ ही आप अधिक जानकारी के लिए आप mnre.gov.in पर जाना अहम होता है।
सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना में ऐसे करना होता है आवेदन
1 .सबसे पहले आपको Solarrooftop.gov.in पर जाना होता है।
2 .उसके बाद आपको अप्लाई फॉर सोलर रूफटॉप पर क्लिक करने की जरुरत होती है।
3 .अब आपको अपने राज्य पर क्लिक कर सकते हैं।
4 .अब आपको आवेदन फॉर्म को भरना होता है।
5 .इस तरह आपका सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना में आवेदन हो जाता है।
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